۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
مولانا مقداد حیدر روحانی

हौज़ा/ विलायत ही अमल की जेहत तय करती है विलायक इंसान को मकसद और हदफ देती है, और यह मकसद और हदफ अल्लाह का वली बताइएगा, शरीर और आत्मा दोनों को मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , रसूल के नवासे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और कर्बला के 72 शहीदों की याद में माहे मोहर्रम 1443 कि 1 तारीख से ही मजलिस का सिलसिला शुरू हो गया खासतौर पर इमाम बारगाहों में अज़ादारी का सिलसिला शुरू हुआ और बाकायेदा यह सिलसिला जारी रहा
हालांकि पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना गाइडलाइन के चलते कुछ पाबंदियों के साथ 10 मोहर्रम तक मजलिसे की गई,
कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इमाम हुसैन (अ.स.) के मातम करने वालों ने मुंबई के विभिन्न इमामबाड़ों में अपने पारंपरिक अंदाज में मजलिस का आयोजन किया। मुंबई के इमामबाड़ा जफरिया शिवाजीनगर गोंवंडी की जानिब से क़दिमी अशरा इमामबाड़ा जाफरिया में आयोजित किया गया, जिसको खतीबे अहले बैत अ.स.मौलाना मुक़दाद हैदर रूहानी ने ,,विलायत,, के मौज़ू पर 10 दिन खिताब किए
  मौलाना ने इस आयेत,  "انما ولیکم اللہ" को अपना मौज़ू करार दिया और उन्होंने कहा कि अल्लाह के दीन का रखवाला अल्लाह का रसूल है, और वह ईमान वाले है जो नमाज़ की स्थापना करते है और
हालते रोकु में ज़कात देते हैं।
उन्होंने अपनी सभाओं में युवाओं को संबोधित करते हुए आगे कहा कि यही विलायत है,आईम्मा मासूमीन अ.स. के बाद फोकहा को हासिल हैं,रहबरे मुअज़्जम कहते हैं,
बगैर विलायत के अमल काबिले कुबूल नहीं चाहे वह नमाज़ हो या रोज़ा हो या हज हो या जिहाद, हर अमल में विलायत का होना वाजिब है क्योंकि
विलायत ही अमल की जेहत तय करती है विलायक इंसान को मकसद और हदफ देती है, और यह मकसद और हदफ अल्लाह का वली बताइएगा,
शरीर और आत्मा दोनों को मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
आयोजकों में श्री लाडले हुसैन, श्री ताहिर हुसैन और श्री प्यारे हुसैन ने कहा कि यह मजलिस कदीमी है तकरीबन 30 साल से आयोजित की जा रही है।
और हमेशा हजारों लोग उपस्थित रहते थे।
इस वर्ष हमने कोरोना महामारी के कारण सरकार द्वारा हमें दी गई कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए हमने मजलिसों और अज़ादारी को बरपा किया और कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि पेश की हम शुक्रगुज़ार हैं उन लोगों के जिन्होंने मजलिसों में शिरकत की और और अपना कीमती वक्त दिया,

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